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चित्रशाला
शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011
पदचिन्ह
क्या खूब है की राह मिले आसान,
हर पग आपके छोड़ जाएँ निशान,
कर चलो ऐ साथी कुछ ऐसा,
भुलायेगा कैसे तुम्हे ये जहान।
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