शनिवार, 7 दिसंबर 2013

मेरा मोदी बिहार नहीं जीत पाया

 आजकल जब हर तरफ मोदी की लहर चली हुई है तो स्मार्टफोन की दुनिया उससे क्यों अछूती रहती। यूँ तो मोदी रन नाम का गेम काफी दिनों से एंड्राइड फोन्स के लिए गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है लेकिन मेरा परिचय इससे कुछ दिन पहले ही हुआ। 
बिहार में अटका मेरा मोदी

 मन न होते हुए भी थोडा खेला तो मेरे मोदी को गुजरात पार करना कुछ खास मुश्किल नहीं पड़ा। लेकिन खेलते-खेलते मैं बिहार जाकर अटक गया हूँ, कई बार कोशिश की है लेकिन समझ नहीं आ रहा कि अपने मोदी को बिहार से बाहर कैसे निकालूं। अब दुविधा यह है कि अगर उन्हें बिहार में जीत न दिला पाया तो उन्हें लेकर उत्तर प्रदेश में कैसे घुसुंगा, फिर यह कहावत यूँही थोड़े कहे जाती है कि प्रधानमंत्री बनना है तो यूपी होकर ही जाना पड़ेगा। मुश्किल ये है कि अगर मेरा मोदी बिहार न जीत सका तो यूपी कैसे जीतेगा?

 अगर बात हकीकत के खेल की भी की जाये तो मोदी के लिए नीतीश बिहार में एक अच्छी दीवार बनकर खड़े हैं ऐसे में वो यूपी तक पहुँच पाएँगे या नहीं इस पर संशय बना हुआ ही है। कल पांच राज्यों के चुनाव का नतीजा आ रहा है और एग्जिट पोल मोदी फैक्टर के पक्ष में खड़ा है लेकिन हकीकत में क्या होता है यह कल के बाद ही पता चलेगा।

 परन्तु बिहार और यूपी में तो अभी विधानसभा चुनाव भी नहीं होने हैं, तो मोदी फैक्टर वहाँ क्या रंग लाएगा देखना होगा और वहाँ स्थापित सरकारें अपने वोटर को इतने आसानी से हिलने थोड़े ही देंगी। वैसे भी मोदी के गुरु माने जाने वाले आडवाणी को बिहार ने ही उनका स्थान उन्हें दिखाया था। इस हकीकत की दुनिया को देखकर मुझे अपने मोबाइल वाले मोदी की परेशानी धीरे-धीरे समझ आ रही है। 

 अब बेचारा मेरा मोदी करे भी क्या उसे बिहार से पार लगाने वाला मैं (वोटर) भी उसे पार नहीं करा पा रहा हूँ तो वो कैसे जायेगा यूपी। देखते हैं अगले कुछ दिनों में क्या होता है क्या मेरा मोदी बिहार जीतकर यूपी में घुस पाता है या बिहार में ही लम्बे समय तक संघर्ष करता रहता है!