मैं तो सबसे ज्यादा उनको लेकर उनके समर्थकों द्वारा किये जाने वाले दावों से खौफ खा जाता हूँ। अभी मोदीजी के हैदराबाद की रैली के बाद की ही बात है मेरे फेसबुक के खाते पर मैंने अपने एक मित्र की उनके सम्बन्ध में एक पोस्ट देखी तो मैं तो बेहोश होते-होते बचा, उसके कुछ अंश मैं यहाँ आपके साथ साझा करना चाहूँगा-
मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने से विश्व में क्या-क्या बदल जायेगा-
आदरणीय मोदी जी की एक बात का मैं कायल हूँ, जब वो कहते हैं कि आप मेरे खिलाफ हो सकते हैं या मेरे साथ लेकिन आप मुझे नजरंदाज नहीं कर सकते। बात भी ठीक है अब उनके द्वारा कभी न कभी ऐसा कुछ कह दिया ही जाता है कि उसके पक्ष-विपक्ष में से कोई एक रास्ता चुनना ही पड़ता है, उसे नजरंदाज तो नहीं किया जा सकता। पहले तो अमेरिका की अर्थव्यवस्था डूब जाएगी क्यूंकि भारत तब न तो अमेरिका से हथियार खरीदेगा और न ही उसकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का सामान भारत में बिक सकेगा क्यूंकि मोदी जी स्वदेशी को बढ़ावा देंगे। दूसरा चीन भी बर्बादी के मुहाने पर खड़ा होगा क्यूंकि उसका 40% व्यापार खत्म जायेगा जो चीन अपने माल को भारत में डंप करके करता है इसका भी कारण आदरणीय मोदीजी द्वारा स्वदेशी भारतीय व्यापारिक तंत्र को मजबूत करना होगा यही नहीं उनके समर्थक पाकिस्तान को लेकर जो विचार रखते हैं उसके उदाहरण की आवश्यकता नहीं है लेकिन अरब देशों को लेकर भी कहा जा रहा है कि उस मरुस्थल में अभी और सूखा पड़ेगा क्यूंकि भारत अपना तेल आयात भी न्यूनतम स्तर पर ले आएगा और मोदीजी नवीकरणीय ऊर्जा को प्रमुख स्थान देंगे।
जब हम इन दावों की पड़ताल करते हैं तो लगता है कि सब खोखला है और अगर ऐसे ही खोखले दावे करने वाले समर्थकों के दम पर अगर कोई ऐसा व्यक्ति प्रधानमत्री बन भी जाये जिससे जनता इतनी उम्मीदें बांध ले कि वो उसके बोझ तले ही दब जाये और खुलकर कोई फैसला भी न ले पाए तो उसका आने वाला भविष्य कितना अंधकारमय होगा। क्या भाजपा को इन भ्रांतियों पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि अगर जनता ने इतनी उम्मीद से उसे चुन भी लिया तो खरे न उतर पाने के बाद उसका क्या हाल होगा।
अब जरा इन दावों पर गौर करे अगर मोदी जी को अमेरिका से इतनी नफरत ही होती या पश्चिमी देशों को उन्हें रुलाना ही होता तो क्यों वो हर साल वाईब्रेंट गुजरात जैसी गोष्ठी करते ताकि उनके यहाँ निवेश बढे। हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि आदरणीय मोदीजी नीतिओं में पूरी तरह पश्चिमी मॉडल को ही अपनाते हैं तो फिर उससे दुश्वारी क्यूँ होगी तो उनके समर्थकों को भी यह ध्यान रखना होगा। फिर उनको अमेरिकी वीजा दिलाने के लिए भी तो भाजपा लायलित है।
हमें इस बात पर भी तो गौर फरमाना होगा कि यदि अरब देशों से आयात बंद हो गया तो अंबानी की जामनगर रिफाईनरी का क्या होगा। क्या मोदी उनको नुकसान में जाने के लिए कहेंगे जबकि वो तो गुजराती हैं । और माने या ना माने उनके अनुसार भारत की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का रूख बदलता है।
इस बात पर थोडा गहन विचार करें तो हमे यह भी सोचना होगा कि किस तरह की सत्ता हम अब चलाना चाहते हैं जो सब कुछ तबाह और खत्म करने पर उतर आये।
इससे तो हम भारत की सहिष्णु, शांतिप्रिय, गुटनिरपेक्ष और विश्व के साथ सहअस्तित्व वाली उदार छवि का ही सर्वनाश कर देंगे। अगर मोदी इतने की विध्वंसकारी हैं तो क्या हक है उन्हें और उनके समर्थकों को कि सरदार पटेल के नाम को इस्तेमाल करते हुए स्टेचू ऑफ यूनिटी बनायें । क्यूंकि उनके आने के बाद तो सब अलग-थलग होने का डर है। अतः मेरा विनम्र अनुरोध है आदरणीय मोदीजी से कि हम उन्हें नजरंदाज करना शुरू कर दें उससे बेहतर है कि वो इस तरह की भ्रांतियों को खुद से स्पष्ट करते हुए दूर करें क्यूंकि उनके समर्थक तो उन्हें भगवान विष्णु का कल्कि अवतार साबित करने में लगे हैं जिसका जन्म कलयुग का अंत करने को हुआ हो।