गुरुवार, 10 अक्तूबर 2013

बीरबल के मयखाने से

बीरबल-अकबर-मुल्ला जी
जकल रात को खाना खाने के बाद थोड़ा छत पर टहलने चला जाता हूँ और इसी बहाने इमारत में रहने वाले बाकी लोगों से मिलना-जुलना हो जाता है। हमारे मकान के मालिक से भी बातचीत हो जाती है, वो दिल्ली पर्यटन विभाग में काम करते हैं तो अक्सर मदिरा से जुड़े कई रोचक किस्से कह जाते हैं। ऐसा ही एक किस्सा अकबर-बीरबल का भी उन्होंने सुनाया जो संदेशपूर्ण प्राप्त हुआ तो साझा कर रहा हूँ।
"एक बार की बात है अकबर के दरबार में मुल्ला दो प्याज़ा आये और बोले कि जहाँपनाह क्या आपको पता है कि बीरबल शराब पीते हैं ? अकबर ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि आप यूँही बीरबल से जलते हैं इसीलिए उसके बारे में ऐसी-वैसी खबरे उड़ाते रहते हैं। जाइये अपना काम कीजिये, बीरबल तो गऊ आदमी है, वो ऐसा कैसे कर सकता है ?
इस पर मुल्ला दो प्याज़ा बोले कहें तो जनाब को बीरबल की इस जुर्रत के दर्शन करा सकता हूँ। इस प्रकार अकबर तैयार हो गया और साँझ के समय दोनों बीरबल के घर के बाहर झरोखे से बीरबल का कार्यक्रम देखने लगे।
बीरबल वहां एक मेज पर अपना मयखाना सजाकर बैठा था और उसने अपना पहला जाम बनाया और प्याले से कुछ कहने लगा। अकबर, मुल्ला दो प्याज़ा के साथ बाहर झरोखे से सब देख और सुन रहे थे।
बीरबल अपने प्याले से -'ए शाम ए सुहानी घटा में मेरी मदिरा ये बता कि अगर मैं तुझे पियूँ तो तू मुझे क्या देगी?'
मदिरा-'अगर तू मुझे पिएगा तो मैं तुझे दिन भर की थकान से आराम दूंगी।'
बीरबल-'तू मुझे पक्का आराम देगी !'
मदिरा-'हाँ !'
बीरबल घुड़क-घुड़क जाम पी लेता है और दूसरा जाम बना कर उसे उसी तरह हाथ में लेकर फिर से कुछ पूछने लगता है और बाहर झरोखे से अकबर ये सब देख के लाल-पीला हो रहा होता है। बीरबल फिर से अपनी मदिरा से-
बीरबल-'ए जन्नते जहाँ अब अगर मैं तुझे पियूँ तो तू मुझे क्या देगी?'
मदिरा-'अब तू मुझे पिएगा तो मैं तुझे सारे तनाव से मुक्ति दूंगी और तेरे दिमाग को शांत कर तेरी शाम सुकून से भर दूंगी।'
बीरबल-'तू ऐसा करेगी !'
मदिरा-'बिल्कुल !'
बीरबल इस बार भी सारा जाम पी जाता है। अकबर ये सब देख रहा होता है और उसके सब्र का बांध टूट रहा होता है। लेकिन बीरबल अब तीसरा जाम भी बना लेता है और उससे फिर बात करने लगता है।
बीरबल-'ए महबूब सी सुन्दर मेरी जानेमन अब मैं तुझे अपने अधरों से छूऊँ तो बता तू मुझे क्या देगी।'
मदिरा-'मेरी जाने बहार अब अगर तू मुझे अपने होठों के नजदीक लाया तो तू मुझे नहीं पिएगा बल्कि मैं तुझे पियूंगी।'
इसपर बीरबल एकदम से आवेश में आ जाता है और कहता है-'तेरी ये मजाल कि तू मुझे पीयेगी !'
और इसके बाद बीरबल प्याले को हाथ से झटक देता है और सारे मयखाने को हटाकर सो जाता है।
ये देखकर अकबर का सार गुस्सा काफूर हो जाता है और वो मुल्ला दो प्याज़ा से मुखातिब होते हुए कहता है कि देखा मुल्ला साहब 'बीरबल शराब नहीं पीता !'