भाई अभी तक तो हम सरदार पटेल को ही लौह पुरुष समझा करते थे लेकिन फिजा का रुख बदल रहा है। वैसे भी यूपी में राहुल का जादू फेल होने और नरेंद्र मोदी के सीढ़ी चढ़ने के कारण मुलायम चाचा को आजकल नींद नहीं आ रही। बेटे के हाथ में सत्ता सौँप के सोच रहे थे कि कुछ दिन आराम करेंगे और अब प्रधानमंत्री बनकर ही दम लेंगे। पर क्या करें कहा जाता है न कि सर मुंडाते ही ओले पड़े। तो पिछले 18 महीनों के अखिलेश के शासन में लैपटॉप के अलावा कुछ भी ठीक से नहीं चला। इतने दंगे हो गए कि पता ही नहीं चल रहा कि कहाँ वाला सुलझाया जाये और कहाँ वाले को चुनाव तक और भड़काया जाये।
लेकिन कुछ भी कहिये अखिलेश कम से कम पार्टी की कुछ नीतियां बदलने में तो कामयाब जरुर रहे हैं और अब वो भी अपनी पार्टी को दबा-कुचला नहीं रहने देना चाहते।जिसका प्रमाण हाल ही में मुलायम के जन्मदिन के दौरान पार्टी की तरफ से प्रकाशित कराये गए विज्ञापनो में भी दिखा। इससे पहले लैपटॉप वितरण के दौरान जो समाजवादी पार्टी अंग्रेजी के नाम से चिड़ा करती थी उसने देश के सभी अंग्रेजी दैनिकों में अंग्रेजी में इस योजना के शुभारम्भ के विज्ञापन प्रकाशित करवाये थे। और अपने लाल-हरे रंग को कॉरपोरट का कलर बनाने का प्रयास किया था।
आप माने या न माने लेकिन अखिलेश ने समाजवादी पार्टी के विमर्श का आंशिक कॉरपोरेटीकरण तो किया ही है। तभी तो बिलकुल प्रोफेशनल तरीके की प्रेस रिलेशन कम्पनी से पार्टी के प्रचार-प्रसार का करवाया जा रहा है। इसकी बानगी अगर देखनी हो तो इस बार दिल्ली में चल रहे ट्रेड फेयर के यूपी के मंडप के बाहर का नजारा भी इसी रंग में देखने लायक है और अंदर घुसते ही आपको कभी समाजवाद की पहचान रहे लाल-हरे रंग के मौजूदा कॉरपोरट में होते बदलाव से भी हो जायेगा।
जरा एक नजर खुद ही इस पोस्टर पर डालिये जो हाल ही में मुलायम के जन्मदिन पर देखेने को मिला।
नवभारत के लखनऊ अंक में छपा विज्ञापन |
जरा एक नजर खुद ही इस पोस्टर पर डालिये जो हाल ही में मुलायम के जन्मदिन पर देखेने को मिला।
खासबात यह रही कि इसका प्रकाशन भी एक दम प्रोफेशनल तरीके से किया गया.…लगभग हर अख़बार के फ्रंट पर इसका एक टीजर और अंदर के पेज पर पूरा पोस्टर छापा गया।
गौर से अगर देखें तो इस पोस्टर का आकलन करने पर पता चलेगा कि कंही न कंही अब समाजवादी पार्टी के विमर्श में सिर्फ यूपी नहीं रहा है बल्कि पोस्टर के पार्श्व में देखें तो इनकी नजर सम्पूर्ण भारत पर है। चलिए देखते हैं कि क्या होता है इन चुनावों में ? क्या मुलायम भी पीएम इन वेटिंग हैं ? वाकई देखने वाली बात होगी कि भारत के प्रति इनके इरादे कितने लोहा हैं?