गुरुवार, 14 नवंबर 2013

गूगल का डूडल

राष्ट्रीय विजेता की कृति 
यहाँ प्रस्तुत गूगल के डूडल को देख कर यही सोच रहे होंगे कि आज क्या बात की जा रही है लेकिन आज अभी हाल ही में गूगल इंडिया के होम पेज पर इस साल के डूडल विजेता का नाम घोषित किया गया है। वैसे यह बात विचारणीय है कि हमारे देश के भविष्य और आने वाली पीढ़ी को विदेश से आयी एक कम्पनी रचनात्मक बनाने के प्रयास में जुटी है लेकिन हम अब तक ऐसा कोई खास काम नहीं कर पाये। इसे एक त्वरित टिप्प्णी की तरह ही लीजियेगा लेकिन हम क्या करना चाहते हैं और देश को कहाँ ले जाना चाहते हैं, इस बारे में हमारे पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है। ऐसा नहीं है कि भारत के पास प्रतिभा की कमी है लेकिन आप माने या न माने हमसे कंही न कंही उन्हें अवसर देने में चूक अवश्य हो रही है। खैर कुछ भी सही गूगल का यह प्रयास सराहनीय है और सबसे अच्छी बात बच्चों के लिए कुछ पॉजिटिव क्रिएट करना ही कम बड़ी बात नहीं है।
इस बार डूडल के लिए विषय महिला विमर्श से जुड़ा था और बच्चों ने चाहे वो किसी भी वर्ग के हों इसमें पूरी सहभागिता निभायी है। एक बात जो अच्छी लगी कि बच्चों ने अपनी रचनात्मकता के साथ-साथ देश में महिलाओं के उत्थान और मदर टेरेसा से लेकर कल्पना चावला तक सभी को स्थान दिया है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय विजेता के डूडल में आपको देश में महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी होने के अहसास के साथ-साथ उनके पारम्परिक माने जाने वाले काम मसलन लालन-पालन सभी के दर्शन होंगे। एक और बात जो देखने वाली थी कि कंही न कंही आज भी बच्चों के अंतर्मन में यह बात रखी जा रही है कि नारी शक्ति का रूप है। इसीलिए आप देखेंगे कि अधिकांश फाइनल में पहुंचे डूडल में झाँसी की रानी या दुर्गा स्वरुप की झलक मिलती है लेकिन अभी के हालात में यह कोरी आशा ही की जा सकती है कि जब ये बच्चे बड़े हों तो उनका यह विश्वास बना रहे कि नारी शक्ति का ही रूप है। वह अपने हिसाब से दुनिया में जी सकती है।

सभी बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनायें और गूगल को भी इस प्रयास हेतु बधाई।

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